शनिवार, 11 जनवरी 2014

हसरतें.....





बहुत सी ज़रूरतें...
बहुत सी हसरतें....
सिमट गयी हैं खुद ब खुद...!
अभी भी प्रक्रिया जारी है...! 
कुछ बची रह गयी हैं शायद अभी भी...!
रोज खुद को देखती हूँ...
समझती हूँ...
और सिमटते हुए देखती हूँ इनको...!
ये सिमटना कब पूरा हो जाये ...
पता नहीं....!!


***पूनम***



2 टिप्‍पणियां: