सोमवार, 13 जनवरी 2014

जीना तो अभी बाकी है...









ज़िन्दगी मिल गयी...जीना तो अभी बाकी है....
बहुत हैं क़र्ज़...उतरना तो अभी बाकी है....!

किसी भी हद से गुज़र जाए इंसान मगर...
मौत की हद से गुज़ारना तो अभी बाकी है...!

खुश रहे तू..मेरे हमदम..मेरे दिलदार... सनम...
आइना दिल है...उतरना तो अभी बाकी है...!

है मुहब्बत तो मुझे खुल के क्यूँ नहीं कहता...
झुकी है मेरी नज़र...इसमें शर्म बाकी है...!

मेरी वफाओं का तेरी नज़र में मोल नहीं....
हो अदावत तेरी जानिब वो ख़ला बाकी है...!




***पूनम***
बस अभी अभी....




शनिवार, 11 जनवरी 2014

हसरतें.....





बहुत सी ज़रूरतें...
बहुत सी हसरतें....
सिमट गयी हैं खुद ब खुद...!
अभी भी प्रक्रिया जारी है...! 
कुछ बची रह गयी हैं शायद अभी भी...!
रोज खुद को देखती हूँ...
समझती हूँ...
और सिमटते हुए देखती हूँ इनको...!
ये सिमटना कब पूरा हो जाये ...
पता नहीं....!!


***पूनम***