शनिवार, 24 नवंबर 2012

नए एहसास....




कुछेक शेर....
नए एहसास....
नए रंग.....
नए हम....
नए तुम......






करते है बात अपनी..........मुझे आज़माते हैं....
कैसे नादाँ है....रखते हैं राज़ भी और खुद ही बताते है !!
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मोहब्बत का कभी भी सौदा न  किया हमने ....
ये फितरत थी तुम्हारी दे दिया दिल हर हसीना को !!
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झूठ की बुनियाद बहुत कमज़ोर होती है यारों..
ज़रा सी डगमगाई तो महल तक टूट जाते हैं...!!
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मेरे अश्कों के लिए था तेरा दामन ही बहुत
तुझको ये भी तो बहुत नागवार गुज़रा है....!!
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वफा की पाकीजगी पे हम शक नहीं किया करते...
तुम बेवजह मुझे इलज़ाम दिए जाते हो...!!
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यकीं तुम पर मुझे जाना...कभी खुद से जियादा था...
मगर कम्बखत दिल मेरा बस इस धोखे में आ गया !!
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समझते जाते थे हम अब तक तुम्हारी सारी ख़ामोशी 
मगर तुमने ही दे दी है.......जुबां ज़ज्बात को मेरे..!!! 





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