शुक्रवार, 16 मार्च 2012

वफ़ा .......



                             मरने की दुआ दे  वो कोई  अपना ही  होगा,
                             दुश्मन को क्या खबर कि कहाँ जी रहे हैं हम !


                             न जाने क्यूँ उठाते हैं हम तोहमतें उनकी,
                             जाने क्यूँ लफ्ज़-ए-ज़हर पिए जा रहे हैं हम !


                             देते  हैं  वो  दुहाई  मुझे  मेरी  वफ़ा की,
                             उनकी ही बेवफाई पे हँसे जा रहे हैं हम !


                             है इक सफ़र ये जिंदगी अब चल रहे हैं हम,
                             उम्मीद-ए-वफ़ा किसी से क्यूँ करेंगे हम !


                           तेरी दुआ .....तेरी  बेवफाई  का  हो  असर,
                          अब इस उम्मीद पर ही जिए जा रहे हैं हम...!!

15 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो थे बा-वफ़ा,तुमने की बेवफाई,
    अब तुम्हारी तरह ही हुए जा रहे हम !

    खून का बदला खून...
    क्यूँ पूनम जी??

    सस्नेह.

    जवाब देंहटाएं
  2. मरने की दुआ दे वो कोई अपना ही होगा,
    दुश्मन को क्या खबर कि कहाँ जी रहे हैं हम !

    दर्द की बयानगी मन को छू गयी ....खूबसूरत गजल

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम में उम्मीदों का बना रहना जरूरी है ... बस ये हो तो एक चीज़ होती है आशिकों पे ... बहुत उम्दा ...

    जवाब देंहटाएं
  4. सुभानाल्लाह.........बेहद खुबसूरत ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  5. jeene ke liye ummeed ka hona zaroori hai....


    khoobsoorat gazal....behad bhavpoorn.

    जवाब देंहटाएं
  6. ummeed kee vajah se hee
    khaamoshee se jee rahe hein ham
    chupchaap sah rahe ham

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर भाव है पूनम जी हालांकि अगर इसे गज़ल की कसूती पर रखें तो... :( :(

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आनंद.....

      आप इसे जहाँ मन हो रखें.....!
      मेरे भाव हैं...
      जो यहाँ आपके सामने हैं...!
      मुझे तो 'गज़ल की कसूती' का मतलब भी नहीं पता...!
      कृपया बता दें तो आगे ध्यान रखूंगी...!!

      हटाएं




  8. है इक सफ़र ये ज़िंदगी अब चल रहे हैं हम
    उम्मीद-ए-वफ़ा किसी से क्यूं करेंगे हम


    ***Punamji***
    आप भी न ,बस …!

    लिखती हैं तो बस… सीधे दिल को छू'ले इस तरह …
    और अंदाज़ इतना सादा बस यूं… ही… !
    … … …

    हृदय से शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं

  9. दिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    -----------
    फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ........हलचल का रविवारीय विशेषांक .....रचनाकार--गिरीश पंकज जी

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़ियाँ...
    दर्द को बयां करती बेहद भावपूर्ण गजल..

    जवाब देंहटाएं