शनिवार, 14 जनवरी 2012

आज कल पाँव ज़मीन पर नहीं पड़ते मेरे.........


 


"आज कल पाँव ज़मीन पर नहीं पड़ते मेरे "


ये गाना सुना है कई बार
और खुद गया भी है...
साथ ही इससे जुड़े ज़ज्बातों को
महसूस भी किया है पूरी शिद्दत से
उस समय ......
जब  दिल  के बहुत नज़दीक से 
गुज़रा था कोई पहली बार !
और मेरे पाँव अपने आप ही 
ज़मीन से ऊपर उठ गए थे...!!
आज भी यही गाना
मुकम्मल सही बैठता है
जबकि अपने ही होने का एहसास
बहुत करीब से गुजरता है मेरे..
और तभी धीरे से 
कोई नज़दीक आ कर
मेरे कानों में फिर से 
गुनगुना जाता है यही.....


" आजकल पाँवज़मीन पर नहीं पड़ते मेरे "




17 टिप्‍पणियां:

  1. किसी का आपके पास आकर आपके कानों में गुनगुनाना ...और आपकी ख़ुशी का ठिकाना

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  2. उत्साह का यह स्थान जीवन में बार बार आये।

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  3. कभी कभी कोई पंक्तियाँ अनजाने से एहसास जगा जाती हैं जिनमें इंसान खोया रहता है ...

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  4. बहुत ही खूबसूरत कविता।


    सादर

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  5. अपने ही होने के अहसास पर जब पांव जमीं पर नहीं पड़ते तब ही यह गीत सार्थक भी होता है...

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  6. पहले किसी और को पा लेने की ख़ुशी थी और अब खुद को :-)

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  7. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  8. बाप रे बाप ,चित्र तो ऐसा है कि बजरंगबली की याद आ जाये.
    चलिए समंदर तो पार हो ही जायेगा अब.
    क्यूँ न उड़कर बजरंबली के ही पास आ जाईयेगा जी.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,पूनम जी.

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  9. कल 02/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  10. poonam jee..h.mamla jab dil da hota hai to paanw jameen par nahi padte hain sach hai....behtarin..sadar badhay ..holi ke dher sari shubkamnaon aaur apni nayee post par aapko amantran ke sath

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  11. जज्बातों की सुन्दर प्रस्तुति!...( वैसे यह मेरा भी पसंदीदा गीत रहा है )

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