सोमवार, 2 जनवरी 2012

मन विश्राम यहाँ है पाता......




बोलों को जब गीत मिले तो
जीवन को संगीत मिले तो,
कुछ बिछड़े से मीत मिले तो
मन विश्राम  वहाँ   है  पाता  !

कुछ न सोचें और लिख जाएँ
शब्द अनमने  से  मिल जाएँ,
होंठ न खुलें  फिर भी  गाएं
मन  विश्राम वहाँ  है पाता !

मन की दुविधा जब मिट जाए
दूर कोई जो पास आ जाए,
बिना छुए कोई   छू  जाए
मन  विश्राम वहाँ  है पाता ! 

पंख नहीं फिर भी उड़ जाएँ
पर्वत पर यूँ ही चढ़ जाएँ,
बाहों  में आकाश  उठायें
मन विश्राम  वहाँ  है पाता !

सांस यूँ ही थम सी जाती है
कोयल जब पी पी गाती है,
याद किसी की  यूँ  आती  है
मन विश्राम  वहाँ  है पाता !

मैंने ऐसा गीत जो गाया
जो खोया था फिर से पाया
बिन आये ही जब तू आया,
मन विश्राम यहाँ  है पाता....!


11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ..बहुत सुन्दर .. मन को विश्राम आ जाये तो बात ही क्या है ..

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  2. maine aisa geet jo gaya
    jo khoya tha fir se paaya
    bin aaye hi jab tu aaya.... Waah!

    Punam ji aadbhut bhav hain sadguru ho ishwar ho ya priytam ho ...wah bina aaye hi to aa jata hai hamaare jeewan me !
    bahut khoob aur tabhi sach me man ko vishram bhi milta hai !

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  3. बहुत ही सुन्दर ..........सच यही कहीं सुकून मिलता हैं |

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  4. काश मन को ऐसे ही विश्राम मिलता रहे।

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  5. बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद्|

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  6. kismat waalaa hai wo
    jiske man ko vishraam miltaa hai

    umdaa khyaalon se labrez.....

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  7. सुन्दर प्रस्तुति, अच्छी रचना,
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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  8. काश...दिन-रात क्रियाशील मन को कहीं/ कभी तो विश्राम मिले...

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