tag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post3405415492757371481..comments2023-09-23T02:57:57.308-07:00Comments on bas yun...hi....: प्रेम........***Punam***http://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-88728088328222719302012-05-21T23:48:52.091-07:002012-05-21T23:48:52.091-07:00प्रेम की पराकष्ठा को पार करने वाला व्यक्ति के ह्र्...प्रेम की पराकष्ठा को पार करने वाला व्यक्ति के ह्र्दय मे समस्त संसार समा सकता है,,,<br />उसके द्वारा किसी के मन मे आघात होने से पहले , पीडा पहले उसे हो जाती है...Harishankarhttps://www.blogger.com/profile/00858968764894774239noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-66604792354695540122012-05-05T00:38:27.226-07:002012-05-05T00:38:27.226-07:00इंसान से प्रेम करना भी तो ईश्वर से प्रेम करना ही ह...इंसान से प्रेम करना भी तो ईश्वर से प्रेम करना ही है ... अगर ये सब समज्ख जाएँ तो जीवन सरल हो जायगा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-21430357994458029942012-04-28T01:15:42.798-07:002012-04-28T01:15:42.798-07:00क्षुद्र नदी जल भर इतराई ,
अध् जल गगरी छलकत जाई ....क्षुद्र नदी जल भर इतराई ,<br /><br />अध् जल गगरी छलकत जाई .बढ़िया रचना .बधाई स्वीकार करें .<br /><br />कृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं<br />शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012<br /><br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html<br />मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट<br />Posted 26th April by veerubhai<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.htmlvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-63234581408793152292012-04-27T23:42:02.840-07:002012-04-27T23:42:02.840-07:00---इन्सान पूर्ण कभी नहीं होता ...यह पूर्णता प्राप्...---इन्सान पूर्ण कभी नहीं होता ...यह पूर्णता प्राप्ति ही तो बहुचर्चित , शास्त्र वर्णित..मुक्ति व मोक्ष है जो निश्चय ही सिर्फ़ ईश्वर के प्रेम से मिलती है ...अपूर्ण..अपूर्ण दो मानवों के प्रेम से नहीं...<br />---परन्तु सान्सारिक पूर्णता हेतु... दो अपूर्ण जीव.. स्त्री व पुरुष का मिलन पूर्णता हेतु ही होता है..तभी स्रजन होता है... यदि दोनों पूर्ण होंगे तो श्रिष्टि-क्रम रुक जायगा...<br />---अस्पष्ट व अधूरे विचार हैं....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-62856533489460727682012-04-27T23:35:11.611-07:002012-04-27T23:35:11.611-07:00सही कहा सरस जी... परन्तु पूर्ण विश्वास/ आत्मविश्वा...सही कहा सरस जी... परन्तु पूर्ण विश्वास/ आत्मविश्वास व स्वयं पूर्णता में अन्तर है...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-41888617220169763272012-04-27T23:33:57.654-07:002012-04-27T23:33:57.654-07:00---सही सोच यही है.. इसी को एक अपूर्ण का दूसरे अपूर...---सही सोच यही है.. इसी को एक अपूर्ण का दूसरे अपूर्ण को.. देते रह्ने के भाव से पूर्णता प्राप्त करना/ कराना भी कह सकते हैं..डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-47111924562981647342012-04-27T23:30:55.956-07:002012-04-27T23:30:55.956-07:00आत्मसन्तुष्टि---पूर्णता नहीं है... फ़िर तो विश्व का...आत्मसन्तुष्टि---पूर्णता नहीं है... फ़िर तो विश्व का व्यापार ही रुक जायगा...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-5553411955914132972012-04-27T23:21:06.736-07:002012-04-27T23:21:06.736-07:00रीता और अपूर्ण में अन्तर होता है जी...दोबारा विचार...रीता और अपूर्ण में अन्तर होता है जी...दोबारा विचार करें...अपूर्ण दर्शन है...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-42814954011470661522012-04-27T03:35:04.410-07:002012-04-27T03:35:04.410-07:00बेहतरीन
सादरबेहतरीन<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-79303642826688857712012-04-27T02:01:10.913-07:002012-04-27T02:01:10.913-07:00वाह.....अपूर्ण और सम्पूर्ण के भेद को सपष्ट करती ये...वाह.....अपूर्ण और सम्पूर्ण के भेद को सपष्ट करती ये पोस्ट लाजवाब है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-33709753464195831792012-04-27T00:33:30.095-07:002012-04-27T00:33:30.095-07:00बहुत सुंदर और अकाट्य सत्य..बहुत सुंदर और अकाट्य सत्य..Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-14031994326527142352012-04-27T00:15:19.422-07:002012-04-27T00:15:19.422-07:00गहन विचार ... अच्छी प्रस्तुतिगहन विचार ... अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-34330464857547493462012-04-26T22:58:15.959-07:002012-04-26T22:58:15.959-07:00पूर्ण समर्पण के बिना ..प्रेम अधूरा ही रहेगा ........पूर्ण समर्पण के बिना ..प्रेम अधूरा ही रहेगा .....और उसके लिए ज़रूरी है पूर्ण विश्वास !!!!<br />बहुत सुन्दर भाव हैं पूनमजीSarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-12659078690626962092012-04-26T20:35:30.987-07:002012-04-26T20:35:30.987-07:00प्रसन्नता देने का एक ही आधार है, स्वयं प्रसन्न रहन...प्रसन्नता देने का एक ही आधार है, स्वयं प्रसन्न रहना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-36007032348403705192012-04-26T20:12:28.926-07:002012-04-26T20:12:28.926-07:00सच है.....
अपने आप में पूर्णता याने आत्मसंतुष्टी ह...सच है.....<br />अपने आप में पूर्णता याने आत्मसंतुष्टी होना सबसे ज़रूरी है....<br /><br />सुंदर भाव ***पूनम*** जी...<br />:-)ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-10941828762718473152012-04-26T18:14:20.019-07:002012-04-26T18:14:20.019-07:00जो स्वयं में ही रीता हो वह दूसरे को क्या पूर्ण करे...जो स्वयं में ही रीता हो वह दूसरे को क्या पूर्ण करेगा |<br /><br />सुन्दर दर्शन |amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.com