tag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post1181445206456092512..comments2023-09-23T02:57:57.308-07:00Comments on bas yun...hi....: मौन....आज........***Punam***http://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-1917643509201753072011-03-02T00:37:17.830-08:002011-03-02T00:37:17.830-08:00माँ की अर्चना.....
यहाँ पर जो भी लिख रहा है...
व्...माँ की अर्चना.....<br /><br />यहाँ पर जो भी लिख रहा है...<br />व्यक्तिगत धरातल पर ही लिख रहा है...!!<br />चाहे उसके अनुभव सामाजिक हों,पारिवारिक हों,या काल्पनिक...!!<br />आपके विचारों से मैं सहमत हूँ कोई ज़रूरी नहीं,भले ही वह रचना<br />"माँ" के लिए ही आपने कितने ही भाव से लिखी हो !!सबके विचार माँ (किसी भी रूप में)के लिए आप जैसे नहीं भी हो सकते हैं !!यह एक व्यतिगत अनुभव ही है..चाहे वो ज़िन्दगी से लिया हो या फिर काल्पनिक हो !!<br /><br />शायद आपने सही ढंग से रचना को नहीं पढ़ा....<br />यहाँ न कोई दुखियारी स्त्री दिखाई देती है और न ही <br />कोई विलासी पुरुष ही वर्णित किया गया है...स्त्री अपने प्रेम के लिए <br />मौन है...और पुरुष की अपनी खोज है..कौन कहाँ पर क्या पाता है...?कहा नहीं जा सकता..!!कोई भी दुखियारी स्त्री इतना साहस नहीं कर सकती कि पुरुष की इस भावना को भी समझे,और पुरुष तो एकदम ही नहीं कर सकता...स्वयं को अपने व्यक्तित्व से अलग कर लें तो सब बखूबी नज़र आ जायेगा !हर किसी के जीवन के अनुभव अलग होते है....आपके भी होंगे...!!आपने जो शब्दों में बयान किया है वह दूसरों के लिए भी सही नहीं हों सकता है...!!मौन अपना वजूद रखता है... और शायद ये आप नहीं समझेंगे....क्योंकि ज्यादातर पुरुष(इसे व्यक्तिगत न ले) शब्दों की भाषा ही समझाते और समझते हैं...कोई बात कहीं ठीक न लगे तो माफ़ी चाहूंगी....!!<br /><br />"माँ की अर्चना" करने के लिए आपको धन्यवाद...यदि भाव समझ न आये तो उसके लिए भी क्षमा चाहूंगी...शायद मेरे लिखने में कहीं कोई कमीं रह गई या फिर आप मुझसे ज्यादा समझदार हैं....!! <br /><br />मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद...और खुले मन से अपने विचार देने के लिए भी !!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-50159055042807834322011-03-01T03:40:05.994-08:002011-03-01T03:40:05.994-08:00आपने क्रमवार तीन सांचे में वर्ष को उल्लेखित करते ह...आपने क्रमवार तीन सांचे में वर्ष को उल्लेखित करते हुए मौन' को लिखा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह व्यक्तिगत धरातल पर लिखी गई भावना है... ! इसके माध्यम से एक सहती दुखियारी स्त्री और एक विलासी पुरुष की छवि उभरती है . और इतने लम्बे काल तक स्त्री अपने मौन को कोई समझाना चाहे ,फिर उसका अपना वजूद नहीं और न तब उसे इस तरह पुरुष को लांछित करने का अधिकार है ! आज दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गई और आप मौन के तीन फेज का ज़िक्र कर रही हैं .... शब्दों से खुद को सही नहीं किया जा सकता !MAA KI ARCHNAhttps://www.blogger.com/profile/17570168515031498762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-51300379293629595582011-03-01T00:49:27.423-08:002011-03-01T00:49:27.423-08:00waah maun me utarti hui aapki nazm aur iska asar ...waah maun me utarti hui aapki nazm aur iska asar mere man me utarte hue .. bahut hi acchi rachna , man ko chooti hui..<br />salaam kabul kare <br /><br />-----------<br />मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .<br />आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.<br />"""" इस कविता का लिंक है :::: <br />http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html <br />विजयvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-11963091683658315772011-02-28T09:51:21.378-08:002011-02-28T09:51:21.378-08:00बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
क्या सच में तुम हो???---म...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति <br /><br /><br /><a href="http://www.mithileshdubey.in/2011/02/blog-post_28.html" rel="nofollow">क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश </a><br /><br /><br /><a href="http://www.upkhabar.in/" rel="nofollow">यूपी खबर </a><br /><br />न्यूज़ व्यूज तथा भारतीय लेखकों का मंचMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-44934317635097248152011-02-28T08:58:21.989-08:002011-02-28T08:58:21.989-08:00मौन पर मार्मिक अभिव्यक्ति..मौन पर मार्मिक अभिव्यक्ति..Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-60718655039254830742011-02-27T17:59:49.653-08:002011-02-27T17:59:49.653-08:00बहुत सुन्दर रचना ! बधाई !बहुत सुन्दर रचना ! बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-40720684225574518472011-02-25T19:50:02.203-08:002011-02-25T19:50:02.203-08:00excellent...excellent...amit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-58372818179599169262011-02-25T06:35:02.673-08:002011-02-25T06:35:02.673-08:00श्री राजेश कुमार 'नचिकेता'जी के ब्लॉग पर आ...श्री राजेश कुमार 'नचिकेता'जी के ब्लॉग पर आपकी निश्छल टिपण्णी पढ़ कर आपके ब्लॉग पर आना हुआ.आपकी कोमल भावनाओं की सुंदर<br />अभिव्यक्ति दिल को छूती है,आपका और आपके प्रेरणा स्रोत का बहुत बहुत आभार .मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा ' पर आपका स्नेहमय स्वागत है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-51893313995160350972011-02-25T02:52:38.924-08:002011-02-25T02:52:38.924-08:00यानि दोनों बार जो होना चाहिये वह नहीं हुआ। खैर अ...यानि दोनों बार जो होना चाहिये वह नहीं हुआ। खैर अब आप को जब मालूम है तो आप वहां जा सकती हैं।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-52142536968434239582011-02-25T00:44:22.194-08:002011-02-25T00:44:22.194-08:00सदा ....
बात उस चरित्र की नहीं
अपितु बात अपनी भा...सदा ....<br /><br />बात उस चरित्र की नहीं<br /><br />अपितु बात अपनी भावनाओं और अपने एहसास की है!!<br /><br />यहाँ बात न स्त्रीत्व की है न पुरुषत्व की.<br /><br />बात अपनी अनुभूति अपने एहसास की है...<br /><br />यहाँ न घुटन है और न ही कोई बाजी है,जिसमे हार-जीत ढूँढी जाए!<br /><br />चरित्र और अस्तित्व दो विधाएं है-एक खुद से बनाया हुआ <br /><br />और दूसरा ईश्वर प्रदत्त !! चरित्र में संशोधन हो सकता है पर अस्तित्व को <br /><br />कोई छू नहीं सकता जब तक कि हम खुद न चाहें....!!<br /><br />आश्चर्य है-आपको यहाँ घुटन और हार-जीत कहाँ से दिखाई दे गई...<br /><br />आपके मौन को यदि दूसरा न समझे तो यह "उसकी समझ" और "उसकी मर्जी"..<br /><br />और अगर उसे कहीं दूसरी जगह समझ में आ रहा है तो ये उसका भटकाव, <br /><br />उसके अपने संस्कार,उसके अस्तित्व की अपूर्णता है जो शायद ताउम्र भी पूरी न हो सके.<br /><br /> ढूँढ़ने वाले न जाने क्या-क्या ढूँढ़ते रहते हैं उनके लिए हमें परेशान होने की ज़रुरत नहीं..<br /><br />जिंदगी बड़ी मजेदार चीज़ है,आप उसे जैसे चाहें ले सकते हैं !!<br /><br />घुटन की तरह चाहें तो आपकी मर्जी या<br /><br />फिर हार जीत की तरह ले ये भी आपकी मर्जी...<br /><br />everithing personal ,very personal .....<br /><br />वैसे मुझे काफी अच्छा लगा कि आपको मेरी रचना ने इतना सोचने के लिए बाध्य किया...<br /><br />शुक्रिया......!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-25923516025328584572011-02-24T20:30:09.944-08:002011-02-24T20:30:09.944-08:00bahut sundar hai ye aapke 'moun' ki bhasha...bahut sundar hai ye aapke 'moun' ki bhasha.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-74658530920824884002011-02-23T21:34:09.279-08:002011-02-23T21:34:09.279-08:00आप इसे पढ़िए .......यहां पर
http://urvija.parikal...आप इसे पढ़िए .......यहां पर <br /><br />http://urvija.parikalpnaa.com/2011/02/blog-post_24.htmlसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-13575479287443457822011-02-23T21:30:50.450-08:002011-02-23T21:30:50.450-08:00मौन तो सही है पूनम जी .... मौन का बहुत व्यापक अर्थ...मौन तो सही है पूनम जी .... मौन का बहुत व्यापक अर्थ और प्रभाव है , लेकिन जिस चरित्र को आपने उभारा है वहाँ मौन का साथ भी क्यूँ? घुटन क्यूँ ? और इसमें अपनी जीत ढूंढना क्यूँ ?सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-20952183798715910792011-02-23T11:22:50.014-08:002011-02-23T11:22:50.014-08:00सदा.....
सही कहा आपने !!
मौन कभी भी अनकहा नहीं र...सदा.....<br /><br />सही कहा आपने !!<br /><br />मौन कभी भी अनकहा नहीं रहता,<br /><br />देर-सबेर समझ में आ ही जाता है...!!<br /><br />और कई सामने वाला जानबूझ कर नहीं समझाना चाहता है <br /><br />क्यों कि इससे उसके अहम् को चोट पहुंचती है !!<br /><br />मौन तोड़ना बहुत आसान है...पर बरकरार रखना ज्यादा मुश्किल होता है ! <br /><br />मैं उन्हें कमजोर मानती हूँ जो अपने अस्तित्व के लिए एक बंधन के साथ <br /><br />जीवन के और भी कई महत्त्वपूर्ण बंधनों को तोड़ देते हैं...!!<br /><br />अपनी अस्तित्वहीनता मौन से नहीं दर्शाई जाती बल्कि मौन रह कर दूसरे के <br /><br />अस्तित्व को भी नाकारा जा सकता है...और इसके लिए हिम्मत, प्रेम <br /><br />और अपने पर विश्वास की ज़रुरत होती है...!!<br /><br />वर्ना एक रिश्ते में प्रेम और अपने अस्तित्व को ढूँढ न पाने के कारण दूसरे कई रिश्तों <br /><br />में प्रेम और अपने अस्तित्व को तलाशते भी अपने आस-पास आप कई लोगों को पा लेंगी...<br /><br />और तो और आपके अस्तित्व का अपमान कोई नहीं कर सकता जब तक कि आप खुद न चाहें....जो औरों में कुछ तलाश रहा है.....तलाश उसकी है...<br /><br />उसके अपने अस्तित्व की और उसके भी अस्तित्व की जिसकी आँखों में कुछ पा रहा है क्योंकि <br /><br />दोनों ही अपने अस्तित्व के कुछ पहलुओं को तलाशने में एक दूसरे के करीब आये हैं......जो अपने आप में पूर्ण है वही सही शब्दों में स्त्री है और शायद इसी लिए मौन भी...............................!!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-61419536913409096562011-02-23T03:17:35.170-08:002011-02-23T03:17:35.170-08:00bahut khubbahut khubShahabuddin Ansarihttps://www.blogger.com/profile/11927474523608608273noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-33706076223445339872011-02-23T02:31:04.645-08:002011-02-23T02:31:04.645-08:00मौन अभिव्यक्ति बहुत कुछ कह गई... स्त्री का मौन अनस...मौन अभिव्यक्ति बहुत कुछ कह गई... स्त्री का मौन अनसमझा ही रह जाता है !, पर आखिर ये स्त्रियाँ तमाम उम्र खुद को समझाने की चेष्टा में अपना वक़्त क्यूँ गंवाती हैं ? क्या वह स्वयं खुद को अस्तित्वहीन नहीं दर्शाती ? जो औरों की आँखों में झांकता रहा , उसके आगे मौन प्रतीक्षा - अपने सम्पूर्ण अस्तित्व का अपमान ही तो है !सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-74631818426162662502011-02-22T18:33:28.901-08:002011-02-22T18:33:28.901-08:00यही तो समस्या है....तारतम्य का अभाव समस्या की जड़ ...यही तो समस्या है....तारतम्य का अभाव समस्या की जड़ है....Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-5473621031106974952011-02-21T18:29:57.118-08:002011-02-21T18:29:57.118-08:00आदरणीय पूनम जी,
नमस्कार !
कुछ पंक्तियों में एक पूर...आदरणीय पूनम जी,<br />नमस्कार !<br />कुछ पंक्तियों में एक पूरा अफसाना ! अच्छी रचना ! शुभकामनाएँ !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-1574756377792585382011-02-21T09:38:43.256-08:002011-02-21T09:38:43.256-08:00प्रिय पूनम जी,
आपके ब्लोग पर आज पहली बार आया हूं !...प्रिय पूनम जी,<br />आपके ब्लोग पर आज पहली बार आया हूं !<br />यहां बहुत कुछ पढ़ने को मिला !<br />अच्छा भी १<br />बहुत अच्छी कविताएं लिखती हैं आप !<br />बधाई !ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-89361080837379316822011-02-21T07:26:54.344-08:002011-02-21T07:26:54.344-08:00चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011<br />को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br />http://charchamanch.uchcharan.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-86047780092006562672011-02-21T06:44:03.160-08:002011-02-21T06:44:03.160-08:00एक मन की अभिव्यक्ति । कुछ पंक्तियों में एक पूरा अफ...एक मन की अभिव्यक्ति । कुछ पंक्तियों में एक पूरा अफसाना ! अच्छी रचना ! शुभकामनाएँ !रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-64643734124427567932011-02-21T04:07:19.117-08:002011-02-21T04:07:19.117-08:00सुन्दर कविता, मन को भा गयी।सुन्दर कविता, मन को भा गयी।Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-62045294280071693332011-02-20T09:57:20.012-08:002011-02-20T09:57:20.012-08:00पूनमजी,
मौन की तीसरी अभिव्यक्ति बहुत ही उम्दा है.
...पूनमजी,<br />मौन की तीसरी अभिव्यक्ति बहुत ही उम्दा है.<br />तीनों रचनायों को फिर से पढ़ा.<br />तारीफ़ के लिए शब्द नहीं मेरे पास.<br />आपकी कलम को सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-89163253497168656912011-02-20T09:30:00.529-08:002011-02-20T09:30:00.529-08:00dr. monika ji ne sahi kaha
bahut hi acchi parastut...dr. monika ji ne sahi kaha<br />bahut hi acchi parastutiOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904225662197145675.post-67130628962877796942011-02-20T09:17:08.500-08:002011-02-20T09:17:08.500-08:00आज जब वो समझा है.......... मैं वहां नहीं हूँ.........आज जब वो समझा है.......... मैं वहां नहीं हूँ........ बेहतरीन <br />मन को छूती अभिव्यक्ति डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com