किसी भी भाषा में बात करो
उदासी रोशन करने के लिए
शब्दों के दिए की...
ज़रूरत नहीं होती...!
सपनों का अस्तित्व है..
वो किसी तरह भी नहीं छुपते..!
माथे पर बेचैनी की लकीरें
अपाठ्य हों फिर भी
सब तो नहीं...
हाँ...
हर काल में कुछ लोगों के लिए
पठनीय हो ही जाती हैं...!
नदियाँ पगडंडियों के साथ ही बहती हैं...
राजमार्गों के साथ नहीं..
इसलिए नदी के किनारे की जमीन
बंजर हो ही नहीं सकती...! :)
हाँ...
जिद की फसल उपजेगी या नहीं..
ये तो विधाता जानता है..
या फिर...
फसल बोने वाला...!!
कोई भी रास्ता हो...
खुद तक पहुँचना बहुत आसान होता है..!
खुद की कोई सरहद नहीं..
न पगडंडी...
न राजमार्ग...
न नदी...
न पेड़....!
कोई रास्ता नहीं...
कोई संकेत नहीं...!
अपनी अव्यक्त दुनिया की अभिव्यक्ति...
क्या तुम स्वयं नहीं...!!
***पूनम***
On my way to Dharmshala...
16/11/2014

bahut badhiya abhivykti ....
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर अहसास....खुद तक पहुंचना जितना आसान है उतना ही कठिन भी...
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