शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

सत्यं......शिवं.....सुन्दरम्.......








कुछ इंसान भी बड़े अजीब होते हैं....!
उनके किस्से तो....
उनसे भी अजीब होते हैं !
उनके लिए सत्य,शिव और सुन्दर...
सब वही है....
जो ये कहते हैं...!
ये केवल अपनी ही कहते है....
ये केवल अपनी ही सुनते है...!
ये दूसरों से केवल वही सुनते हैं...
जो ये उनसे सुनना चाहते हैं...!
इन्हें अपनी ही भावनायें दिखती हैं 
और दूसरों की भावनाएं भी
तभी देखते हैं.....
जब वो चाहते हैं ! 
दूसरों के चरित्र पर कीचड़ उछालने से 
बाज नहीं आते हैं ये.....!
लेकिन अपनी बात आते ही 
अपना रवैय्या ही बदल लेते हैं !
खुद के अच्छा होने का अहं..
दूसरों के बुरा होने के एहसास से 
कई - कई गुने ज्यादा है...! 
हर वक्त उंगली दूसरों पर..
कभी अपने पर नज़र नहीं जाती....!
ऐसा नहीं कि उन्होंने इस संसार में 
कोई भी 'काम' छोड़ा हो....!
लेकिन आज वो इन सबसे 
खुद को ऊपर उठा मानते हैं....!
आज उनमें से कुछ लोग खुद को
ईश्वरत्व के समकक्ष देखते हैं..!
आप भी अपने इर्द-गिर्द देखिये....
इनमें राम कहीं भी नहीं मिलेंगे...
हाँ....
कुछ कृष्ण रास रचाते मिलेंगे.....!
और ऐसे ही कुछ शिव तांडव करते हुए...!!






बुधवार, 12 दिसंबर 2012

जीना......







जिंदगी के कुछ क़र्ज़....
उतरते ही नहीं कभी-कभी...!
कितने सपने बेचे....
कितने दर्द लिए...! 
कुछ जाने...
कुछ अनजाने....
एहसास भी कम किये....! 
कुछ सुकूं तो मिला.. 
जीने के लिए....!
लेकिन जीने के लिए 
अपना होना ज़रूरी है.....! 
बस वही बच गया है अब.....! 
हाँ......
मैं अब खुश हूँ......!!





मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

चाहतें.....






अक्सर होता ऐसा ही है...
चाहतें किसी की होती हैं...
निशाना पे भी कोई होता है  
लक्ष्य साधा जाता है उसी पे
लेकिन...
बूमरैंग की तरह निशाने को घुमा कर 
लगाया कहीं और जाता है.....!!
लग गया तो जश्न....
न लगा कर्म-धर्म,संस्कार का उपदेश....!
ये इंसान भी न....!!
हर बात को अपनी तरह से 
घुमा फिरा के बोलता है...!
ईश्वर करे भी तो क्या...?
अपनी ही बनायीं रचना से
हारा हुआ महसूस करता होगा...
बुद्धि दे कर इंसान को 
उसी बुद्धि के आगे खुद को
छोटा महसूस करता होगा...
क्यूँ कि इंसान इसका प्रयोग 
अपने किये को 
सही साबित करने में 
ज्यादातर लगाता रहता है...!
अब ईश्वर कर भी क्या सकता है...
सिवाय आश्चर्य के...!!







रविवार, 2 दिसंबर 2012

वजूद........






तेरे होने के एहसास को 
इस तरह जिया है मैंने
कि अब अपने होने का एहसास ही
खो गया है मुझसे कहीं...!
अब एहसास है मुझे 
बस मेरे वजूद का,
और नहीं भी है....
क्यूँ कि वो मिल गया है..
तेरे वजूद के संग...!!