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बुधवार, 21 मार्च 2012

जिंदगी की राह..............



 



ये  आसमानी रास्ते कुछ ऐसे  खो  गए  हैं,
हम बादलों के साथ-साथ गुम से हो गए हैं  !!

चलते  थे साथ तेरे  जब हमसफ़र ,ओ मेरे !
इन राहों पे चलके कहीं हम तुम खो गए हैं  !!

ये जिंदगी की राह भी कुछ इस तरह से गुम है, 
न  तुम ही वो रहे अब, हम  भी न वो  रहे  हैं  !!

क्यूँ  कर छुपाई तूने यूँ हकीकत  जिंदगी की ,
अब लाख दे हवाला फिर भी न ख़म गए हैं. !!

9 टिप्‍पणियां:

  1. समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है ... रास्ते, बादल या फिर हमसफ़र ...

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  2. बहुत सुन्दर...
    यही तो जीवन है...
    कोई कहीं मिलता है...कोई खो भी जाता है यकायक....

    सस्नेह.

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  3. न तुम ही वो रहे अब ... हम भी न वो रहे हैं
    क्या बात है ...
    वाह वाह !
    बहुत खूबसूरत !


    आदरणीया पूनम जी
    सुंदर रचना है ...
    बधाई ! !

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  4. धन्यवाद राजेन्द्र जी......
    बधाई आपको भी......
    साथ ही मेरे सभी मित्रों को भी.....!!

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  5. बहुत ही खुबसूरत है ग़ज़ल।

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